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उनींदी आँखें बंद खिड़कियों से झाँकती उस पार बुझा

उनींदी आँखें 
बंद खिड़कियों से 
झाँकती उस पार 
बुझा रही हैं 
मृगतृष्णा 
कुछ पी रहीं हैं 
कुछ छलका रहीं हैं 
जो नहीं प्राप्य 
अमृत धारा 
इक ख़्वाब की ख़ुशबू में #napowrimo का 18वाँ दिन है बल्कि कहें 18वीं रात और उस ख़्वाब की ख़ुशबू है, जिसमें हम जीते हैं।
#ख़्वाबकीख़ुशबू #yourquoteandmine
Collaborating with YourQuote Didi
उनींदी आँखें 
बंद खिड़कियों से 
झाँकती उस पार 
बुझा रही हैं 
मृगतृष्णा 
कुछ पी रहीं हैं 
कुछ छलका रहीं हैं 
जो नहीं प्राप्य 
अमृत धारा 
इक ख़्वाब की ख़ुशबू में #napowrimo का 18वाँ दिन है बल्कि कहें 18वीं रात और उस ख़्वाब की ख़ुशबू है, जिसमें हम जीते हैं।
#ख़्वाबकीख़ुशबू #yourquoteandmine
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#NAPOWRIMO का 18वाँ दिन है बल्कि कहें 18वीं रात और उस ख़्वाब की ख़ुशबू है, जिसमें हम जीते हैं। #ख़्वाबकीख़ुशबू #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi