जब खेल जाएगा तुझसे भी कोई और तू भी मुझसा तड़पेगी खामोशी भरी ये सजा जब चीख चीख कर तुझे सतायेगी टूटकर बिखरेगी तेरी रूह और तू खुद के वजूद को कोसेगी तब तू जरूर आना मुझसे पूछने की मैं ज़िंदा कैसे बच पाया हूँ और क्यूँ तेरी यादों ख्वाबों और बातों को मैं कूड़े में बहाकर आया हूँ jab khel Jayega tujhse koi...