पाँच तत्त्व हैं, तीन लोक हैं, असंख्य जीव, असीमित व्योम है, कहते हैं सबके भीतर तू, पर है तेरा विस्तार कहाँ तक, और मैंने अब तक कितना जाना? त्राण में तू है, प्राण में तू है, चराचर के आघ्राण में तू है मैं अछूता कैसे तुझसे जब कण-कण में है व्याप्ति तेरी, और मैंने अब तक कितना जाना? इन प्रश्नोत्तर का सार है तुझमें, सब चक्रों का, आधार है तुझमें तुझ बिन जीवन निस्सार है मेरा, समझ रहा हूँ तुझसे मैं हूँ, फिर भी, मैंने अब तक कितना जाना? #life #lifequotes #innervoice #anumika