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लिखने की तलब है मगर मग़रूर ख़याल नहीं आते ग़ैर-मशरूफ

लिखने की तलब है मगर मग़रूर ख़याल नहीं आते
ग़ैर-मशरूफ मुहब्बत तबाह हुई,अब एहसास जमाल नहीं आते।

मुसलसल कोशिश की उन्हें पन्नों पर तराशने की,
लेकिन अश्कों से तर-बतर पन्नों पर, जज़्बात नहीं आते।

सिर्फ हम हैं उनके दिल में, ले डूबी ये ग़लतफ़हमी हमको
रब का एहसानमंद हूँ ,वो बनावटी मुलाकात दोबारा नहीं आते।

लाहासिल मेरी ज़िन्दगी करके हुआ तुम्हें क्या हासिल,
पूछे जो इस बेज़ार दिल का हाल,वो सवालात ज़ुबाँ पे क्यूँ नहीं आते।
  
सोचा था ख़ामोशी ने बचा रखी है आबरू सवालों की,
खामोशी रूहों की बयाँ करे अल्फाज़ें,अब वो हालात नहीं आते।

लिखने का "कौशल" भी है,मगर ख़याल नहीं आते,
अब तो कम्बख्त यम के फरिश्ते भी, इस आशिक़ के हवालात नही आते।
 This is my first ghazal ever. I apologise for mistakes and invite all constructive criticism.
ग़ैर मशरूफ-unconditional 
मुसलसल - continuous
लाहासिल - useless
#love #breakup #ghazal #househope YourQuote Didi YourQuote Bhaijan YourQuote New Writers Club Best YQ Hindi Quotes
लिखने की तलब है मगर मग़रूर ख़याल नहीं आते
ग़ैर-मशरूफ मुहब्बत तबाह हुई,अब एहसास जमाल नहीं आते।

मुसलसल कोशिश की उन्हें पन्नों पर तराशने की,
लेकिन अश्कों से तर-बतर पन्नों पर, जज़्बात नहीं आते।

सिर्फ हम हैं उनके दिल में, ले डूबी ये ग़लतफ़हमी हमको
रब का एहसानमंद हूँ ,वो बनावटी मुलाकात दोबारा नहीं आते।

लाहासिल मेरी ज़िन्दगी करके हुआ तुम्हें क्या हासिल,
पूछे जो इस बेज़ार दिल का हाल,वो सवालात ज़ुबाँ पे क्यूँ नहीं आते।
  
सोचा था ख़ामोशी ने बचा रखी है आबरू सवालों की,
खामोशी रूहों की बयाँ करे अल्फाज़ें,अब वो हालात नहीं आते।

लिखने का "कौशल" भी है,मगर ख़याल नहीं आते,
अब तो कम्बख्त यम के फरिश्ते भी, इस आशिक़ के हवालात नही आते।
 This is my first ghazal ever. I apologise for mistakes and invite all constructive criticism.
ग़ैर मशरूफ-unconditional 
मुसलसल - continuous
लाहासिल - useless
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kaushalsao5079

Kaushal sao

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