सुख के चंद लम्हों के इतर, ग़म की दो बातें भीं हैं, शोर-गुल कौतूहल से परे, तन्हाई भरी रातें भीं हैं, मन की उत्कंठा का बनकर कैदी, क्यूं खुद में यूं खोता है? दिल - ए - नादान, तू क्यों रोता है, घोर अन्धकार के बाद ही तो, आगमन उजाले का होता है, बीत ही जाएगी ये शाम, सब्र क्यों खोता है? दिल ए नादान, तू क्यों रोता है? - सुरेंद्र आगरी "सुरी" #motivational_shayari #sad_shayari #dil_ki_kalam_se #meltingdown