होनी को नहीं टला जा सकता है. होनी होकर ही रहती है. होनी के वक्त वैसा ही अनुकूल वातावरण बन जाता है, हमारी बुद्धि भी उसके अनुसार ही कार्य करने लगाती है. honi ko koi nhi taal skta