अहंकार मेरी(अहंकार) बातों में आकर, करता हैं अपनों से घात। रहो ना मेरे पास, छोड़ मुझे, करलो अपनो का साथ।। अहंकार की बातें सुनने को भी तैयार नहीं हैं इंसान, मेरे मद में रहकर, थमने ना दे अपने अंदर का तुफान। करता फिरे ओरों की बातें, देखे ना खुद के अंदर, जलता रहे मन ही मन में, फिरता रहें बनके बंदर। सहन ना हो पाएँ गैरों का सौन्दर्य, लगे बदन में आग, खुद को पाक बताएँ हरदम, गैरों पर लगाता जाएँ दाग। अपने ज्ञान का मान रखे ना, करे टक्कर देने की बात, मुझ में हर क्षण खोकर, दिखाने लग जाएँ अपनी जात। सच्ची(कड़वी) बात कहें कोई तो, लगे तुझे वों शत्रु समान, मीठी बातों से झूठी प्रशंसा करने वाले लगते तुझे महान। ज्यादा साथ नहीं है अच्छा मेरा, कर लो जीवन पार, मन पर विजय पाने वाले को ही मिलता है सुखी संसार। अपने हित के लिए, करो ना गैरों के कन्धों का इस्तेमाल, दबाकर ना रखो कुछ भी मन में, बदलो ना अपनी चाल। अहंकार की जो बात माने, जीवन बन जाएँ उसका खुशहाल, खुद के सही होने पर, तो बाल ना बाँका कर सके कोई काल। अहंकार मेरी(अहंकार) बातों में आकर, करता हैं अपनों से घात। रहो ना मेरे पास, छोड़ मुझे, करलो अपनो का साथ।। अहंकार की बातें सुनने को भी तैयार नहीं हैं इंसान, मेरे मद में रहकर, थमने ना दे अपने अंदर का तुफान। करता फिरे ओरों की बातें, देखे ना खुद के अंदर,