वो चले तो फिजाओं में हलचल आज भी हैं, उसकी धड़कनो की आहट आज भी हैं, घने बादलो की तरह उसकी बालों से, लिपटने की चाहत आज भी हैं फूलों की तरह खिलखिलाहट उसकी होटों की मुश्कुराहटा, देखने की चाहत आज भी हैं ।। ✍✍VIKAS,,,VKB #DEAR#JINDAGI ImRaN ShAmSi कवि विशाल शिव sweet Uttrakshi vijaylal kage