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जिंदगी जिंदगी सी लगने लगती है, जब बोझ जिम्मेदारिय


जिंदगी जिंदगी सी लगने लगती है,
जब बोझ जिम्मेदारियों का कम होने लगता है।
इंसान खुद को वक्त देने लगता है,
अब वह खुद से ही मिलने लगता है।
पसंद खुद की जो वह भूल चुका था,
उसे फिर से याद आने लगती है।
अब उसकी चाहत की चीजों से धूल हटने लगती है,
शेष जिंदगी सुकुन से कटने लगती है।
चिंता फिक्र कम होने से बीपी शुगर घटने लगता है,
धीरे-धीरे तोंद भी उसकी बढ़ने लगती है।
कल तक जो गुमसुम सा रहता था, 
अब बातें उसे बहुत आने लगती हैं। 
जिंदगी जिंदगी सी लगने लगती है, 
जब जिम्मेदारियां कम होने लगती हैं।

©Suraj Sharma
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