*एकलव्य बनकर मंजिल पायेंगे* अपनी ही मेहनत से, हम मंजिल को पायेंगे क्यूँ किसी की राह देखें, काम न कोई आयेंगे जीतनी है बाजी तो, हिम्मत भी करनी होगी अपनी रूहानी शक्ति, जागृत भी करनी होगी कुछ कर गुजरने का, मन में जुनून जगायेंगे साथ ना देगा कोई तो, एकलव्य बन जायेंगे दृष्टि से अपने लक्ष्य को, ओझल होने ना देंगे अपना आत्मविश्वास हम, कभी खोने ना देंगे आने वाले विघ्नों की, हम परवाह नहीं करेंगे कोशिश कर ले कोई, हम बिल्कुल नहीं डरेंगे अपने मन को लक्ष्य की, याद दिलाते जायेंगे आशाओं के दीप सदा, पथ पर जलाते जायेंगे अपनी मंजिल का पथ, हम ही सुगम बनायेंगे एकलव्य बनकर हम, अपनी मंजिल पायेंगे *ॐ शांति*