मेरी बस अर्जी है,उसकी सब मर्ज़ी है जीने की ख्वाहिश अब,लगती क्यूँ ख़ुदगर्ज़ी है धड़कन बेकाबू हैं,छाया कोई जादू है बाँधो न अब मुझको,उड़ने की बस जल्दी है उसने क्या सोचा है,या नज़रों का सब धोखा है कहने दो लोगों को,ये दुनिया बेदर्दी है मुझको तो आदत है,उसकी क्या चाहत है एक तू ही तो सच्चा है,बाकी सब फर्जी है पाने की कोशिश है,धुँधली सी ख्वाहिश है सपने तुम्हारे हैं,उम्मीदें सतरंगी हैं झूठे सब घेरे हैं,मन के सब फेरे हैं तुमने जो समझा है,वो किसकी मनमर्जी है.... ©abhishek trehan #मनमर्ज़ियाँ #collabwithकोराकाग़ज़ #manawoawaratha #yqshayari #yqpoetry #yqbaba #yqdidi