मन्ज़िल की ओर निकला मैं, ठोकर लगी तो गिरा मैं, फ़िर खड़ा हुआ, फ़िर गिरा मैं, यह सिलसिला सालों साल चला, न थका मैं, न रुका मैं, गिर-गिर कर फ़िर उठा मैं, रास्ता था मिलों लम्बा, पत्थर से भरा, काँटो से भरा, जब-जब मैंने पांव धरा, आह!निकली और मैं चीख पड़ा, दर्द को तब हथियार बना, पथ को अपना यार बना, मैं बढ़ चला मन्ज़िल की ओर, सब्र को अपनी ढाल बना, रास्ते में मिले रंगबिरंगे फूल, मैं बहका देखकर हो गई भूल, आग़ोश में जाकर बैठ गया, और मन किया तो लेट गया, वक़्त का न कुछ होश रहा एक दशक था जैसे बीत गया।। न मन्ज़िल मिली न फ़ूल। #themoonforgets #मोहलत #yosimwrimo #yqaestheticthoughts #yqbaba #yqdidi #life #love