बारिश में छाते के नीचे देखा था तुमको हल्के से गीले सूट में और बाल खुले हुए हवा में लहरा रहे थे कभी कानो के पीछे से चेहरे पर आते हुए और धीरे धीरे गालों पर यूं नागिन से लहराते हुए । मैं वहीं दद्दा के चाय ढाबे पर मस्त अदरक की चाय की चुस्कियां ले रहा था । हम तुम्हे घूर तो सकते नहीं थे क्योंकि बिहारी हैं वहीं के लौंडे लपाटे हमको कोपचे में लपेट लेते, खैर जितना एक सभ्य समाज के लड़के देख सकते हैं हमने तुम्हे उतना देखा झूठ ना कहूं तो नजरें चुराकर हमने तुम्हे उससे ज्यादा देखा । वैसे तो मन हुआ कि अभी बारिश में दौड़कर तुम्हारे पास आकर तुम्हारा नाम पूछ लें पर मां बारिश में गीले कपड़े देख कर मेरे कोमल गालों को लाल पीला कर देती खैर मां के मार को तो झेल लेते पर पिताजी के हथौड़े जैसे हाथ की मार एक हफ्ते तक याद रखते । इसलिए हमने दूर से देखा पर दद्दा कहां रुकने वाले थे दौड़ कर एक चाय दे आए तुमको और बोले की वो लड़का आपको देख कर ना जाने क्यों मुस्कुरा रहा है ।आप जानते हो उसे..? फिर तुमने बड़ी बड़ी आंखें दिखा कर मेरी तरफ ऐसे घूरा की लगा पिता श्री के हाथ का मार ही अच्छा था एक हफ्ते बाद भूल तो जाते । खैर धीरे से तुम मेरे पास आए और मुझसे कहा की ऐसे घूरना बंद करो लोग गलत सोचेंगे । और मुस्कुराते हुए तुम वहां से जाने लगे और मैं वहीं खड़ा सोचता रहा की काश यह कोई सपना हो पर यह सच था । जब तुम चले गए तो दद्दा से पूछा की दद्दा आपको उसने कुछ कहा क्या...? दद्दा बोले हां कहा ना..मुझे वो काफी देर से प्यार भरे नजरों से देख रहा है पर उसकी आंखों में गंदगी मुझे नजर नहीं आ रही । मैं उसके पास जाकर खुद उससे बात करूंगी और आज हम जिस तरह से किस्मत से मिले हैं दुबारा मिलने की दुआ करूंगी । खैर अब यह दुआ कबूल हुई या नहीं यह मत पूछिएगा कहानी थोड़ी लंबी है अभी के लिए इतना ही सुखद अनुभव का एहसास कराता है ।❤️❤️🙏 ©शिवम् सिंह भूमि #कहानीकार #untoldstory #alone