मांगता था जिसे मैं दुआओं में,वो हासिल उसे हो जाता था ढूंढ़ता था जिसे मैं लकीरों में,वो उसे बिन मांगे मिल जाता था कहने को अब कुछ भी नहीं,क्या नाम दूं इसे अब तेरे सिवा आओ बैठो कभी संग फुर्सत में,कभी इंतज़ार भी फुर्सत हो जाता था एक तूफान से तो बच गई,कैसे बचती वो लाख तूफ़ानों से लहरों ने तो उसे बख़्श दिया,कैसे बचती वो इंसानों से है दुनिया की रीत यही,जो हुआ नहीं वो ही होना था गवांकर सबकुछ बेहोशी में,गहरी नींद में फिर से सोना था मुझसे मेरा कुछ रुठ गया,कोई तरकीब बताओ मनाने की ये ना पूछो मुझे क्या हासिल है,कोई दवा बताओ भुलाने की जो साथ तेरा मैं निभा ना सका,अब अफ़सोस ना करना खोने का पहचान तेरी एक समंदर थी,मुझे किसी और का दरिया होना था... Abhishek Trehan #दुआएं #इश्क़ #खोना #ज़िंदगी #शायरी #कविता #मेरीक़लमसे #सूफियानाइश्क़