चार वक्त भी ना कमा पाए खुशी के अबतक ए खुदा मंजिल से भी बहुत दूर हूँ हूँ अपनो से कितना जुदा और कितना वनवास लिखा है मेरे मौला मेरे हाथों मेरे नसीबा में चंद सिक्के भी इकट्ठे ना कर पाया क्या कमाया इस उम्र अपने जेबा में चार वक्त भी ना कमा पाए खुशी के अबतक ए खुदा मंजिल से भी बहुत दूर हूँ हूँ अपनो से कितना जुदा और कितना वनवास लिखा है मेरे मौला मेरे हाथों मेरे नसीबा में चंद सिक्के भी इकट्ठे ना कर पाया