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जिगर का टुकड़ा जिसे एक मां नौ महीने अपनी कोख में पा

जिगर का टुकड़ा जिसे एक मां नौ महीने अपनी कोख में पालती है,
 वो उसके जिगर का टुकड़ा होता है।
अपनें अधूरे सपनों को मां जिसमें साकार रूप में देखती है,
वो जिगर का टुकड़ा उसका हसीन सपना होता है।
एक पुरुष का भी वो पहला एहसास जब वो पिता होता है,
वो संतान को पहली बार हाथों से स्पर्श करने का सुख
 जैसे कोई किसी का अनमोल खिलौना होता है ।
एक मां और पिता के रिश्ते को और अटूट बनाने वाला,
 वो एक नया सवेरा होता है।
उस नन्हीं सी जान में ना जानें ,
कितने दिलों का सपना पूरा होता है।
वो परिवार के नेक संस्कारों को ग्रहण कर को जो सबका जैसे अपना होता है,
इसीलिए वो मासूम चाहे जितना बड़ा हो जाए
मां बाप के जिगर का टुकड़ा होता है।

वो बगीचे का माली को खून पसीने से पौधों को अपने सींचता है,
जब खिलता है वो प्यारा सा वो फूल तो वो जैसे उनके अस्तित्व का मुखड़ा होता है।
                              __Satyaprabha💕
                    __My Life✍ #December
#Satya Prakash Upadhyay
#jigar ka tukada
जिगर का टुकड़ा जिसे एक मां नौ महीने अपनी कोख में पालती है,
 वो उसके जिगर का टुकड़ा होता है।
अपनें अधूरे सपनों को मां जिसमें साकार रूप में देखती है,
वो जिगर का टुकड़ा उसका हसीन सपना होता है।
एक पुरुष का भी वो पहला एहसास जब वो पिता होता है,
वो संतान को पहली बार हाथों से स्पर्श करने का सुख
 जैसे कोई किसी का अनमोल खिलौना होता है ।
एक मां और पिता के रिश्ते को और अटूट बनाने वाला,
 वो एक नया सवेरा होता है।
उस नन्हीं सी जान में ना जानें ,
कितने दिलों का सपना पूरा होता है।
वो परिवार के नेक संस्कारों को ग्रहण कर को जो सबका जैसे अपना होता है,
इसीलिए वो मासूम चाहे जितना बड़ा हो जाए
मां बाप के जिगर का टुकड़ा होता है।

वो बगीचे का माली को खून पसीने से पौधों को अपने सींचता है,
जब खिलता है वो प्यारा सा वो फूल तो वो जैसे उनके अस्तित्व का मुखड़ा होता है।
                              __Satyaprabha💕
                    __My Life✍ #December
#Satya Prakash Upadhyay
#jigar ka tukada