ये कैसा रोग ज़माने को लगा है हर कोई अपने आका को बचाने में लगा है नाम, रंग, ज़ात, पहनावा चेहरे चुन चुन कर ढूंढ रहे है हर कोई एक दुझे की गलतियां गिनाने में लगा है ये कैसा रोग ज़माने को लगा है ग़रीब को दो वक्त का राशन देकर वीडियो बनाता है कोई फ़ोटो खिंचवाता है कोई टी वी पर, अखबार में ख़बर लगवाता है कोई मैं हूँ महान, हर शख़्स यहां मौका भुनाने में लगा है ये कैसा रोग ज़माने को लगा है हक़ीक़त है क्या, किस को खबर है जिसका है पैसा, उसकी ही कदर है जिस कलम में थी ताक़त अब वो भी बिक रही है बुरी है अपनी हाल, मगर किसे दिख रही है जिसे झूठ था मिटाना, वही सच छिपाने में लगा है ये कैसा रोग ज़माने को लगा है अमन कभी खुद के गुनाहों से भी पर्दा उठा ले अपने अंदर की बुराई को मिटा दे तूने देखा है खुद को आईने में कभी या सिर्फ दूसरों को आईना दिखाने में लगा है ये कैसा रोग ज़माने को लगा है #justfeelingsonlyfeelings ये कैसा रोग ज़माने को लगा है हर कोई अपने आका को बचाने में लगा है नाम, रंग, ज़ात, पहनावा चेहरे चुन चुन कर ढूंढ रहे है हर कोई एक दुझे की गलतियां गिनाने में लगा है ये कैसा रोग ज़माने को लगा है ग़रीब को दो वक्त का राशन देकर