ये ज़िन्दगी चल तो रही थी पर, दर्मिया खामोश था। इन बेवजह दर्दो को समेट कर चलना सीखा था। नाराज पल, नाराज लोग और नाराज इरादे । सब जाने क्यों आक्रोश में थे। बस एक सफ़र समझ कर जिंदगी चल तो रही थी पर, दर्मिया खामोश था। #जिंदगी #विचार