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तुमसे मिला हो जैसे जैसे बरसों के प्यासे को अमृत क

तुमसे मिला हो जैसे 
जैसे बरसों के प्यासे को अमृत की प्याली, 
सावन का अंधा जो देखे हरियाली, 
पतझड़ के मौसम मे बहारों का आना, 
नदियों के जल का समंदर मे मिल जाना, 
जैसे बिछड़े हंसो का ये फिर से मिलन हो, 
लो आसमाँ झुक गया है ज़मीं के मिलन को, 
जैसे दादुर के मुख पड़ी बरसा की बुँदे, 
कोई भटकता राहगिर जो मंजिल को ढूँढे, 
बेरंग ज़िंदगी मे कोई रंग भर रही हो, 
धीमी सी ज़िंदगी की रफ्तार बढ़ रही हो.— % & यहां नीचे पूरा पढ़े 👇

तुमसे मिला हो जैसे

जैसे बरसों के प्यासे को अमृत की प्याली,

सावन का अंधा जो देखे हरियाली,
तुमसे मिला हो जैसे 
जैसे बरसों के प्यासे को अमृत की प्याली, 
सावन का अंधा जो देखे हरियाली, 
पतझड़ के मौसम मे बहारों का आना, 
नदियों के जल का समंदर मे मिल जाना, 
जैसे बिछड़े हंसो का ये फिर से मिलन हो, 
लो आसमाँ झुक गया है ज़मीं के मिलन को, 
जैसे दादुर के मुख पड़ी बरसा की बुँदे, 
कोई भटकता राहगिर जो मंजिल को ढूँढे, 
बेरंग ज़िंदगी मे कोई रंग भर रही हो, 
धीमी सी ज़िंदगी की रफ्तार बढ़ रही हो.— % & यहां नीचे पूरा पढ़े 👇

तुमसे मिला हो जैसे

जैसे बरसों के प्यासे को अमृत की प्याली,

सावन का अंधा जो देखे हरियाली,
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B Pawar

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