हम गरीब लोगों के जज़्बात कौन लिखेगा, जो गुज़र रहें हैं हम पर वो हालात कौन लिखेगा। लगी थी लम्बी कतारें इंसाफ़ की हसरत में, जहां इंसानियत ना हो ज़िन्दा वहां इंसाफ़ कौन लिखेगा। एक ज़िन्दगी की कीमत चन्द काग़ज़ के टुकड़े हैं, अब इंसानों के लिए इंसान की औकात कौन लिखेगा। क्या हे ही नहीं है कोई हक़ की चाह रखने वाला, इन कोरे कागजों की तफ़सीलात कौन लिखेगा। 'नूर' जंग का वक्त है उठ के आओ मैदान-ए-जंग में, ना करो फ़िक्र के तुम्हारी रिवायात कौन लिखेगा। झोपड़ी चाहतीं हैं मुझ पर ना हो बारिशे, बादल का कहना है तुझ पर ना बरसू तो मुझे बरसात कौन लिखेगा। #NojotoQuote Long from