सफ़र को अंधेरे से उजाले में ले चला था मैं हम सफ़र को सफर के सहारे ले चला था मैं मगर... हम सफ़र सफ़र में जुदाई मांगे लगा.... तो छोड़ दिया वह सफ़र जिस सफ़र मैं वह दुहाई मांगे लगा हमने तो सोचा था...... हमेशा उसे उजाला ही देंगे..... हमें क्या पता था..... के वह मारेंगे फूंक बुझा ही हमें देंगे...... Gudvin.barche@g