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मत इंतजार कर किसी का अपना दीप खुद बनो स्वयं प्रका

मत इंतजार कर किसी का अपना  दीप खुद बनो
स्वयं प्रकाशित रहे हम मनमंदिर में करके उजाले

अंधेरे! जिंदगी के समस्त दूर हो जायेंगे मुसाफ़िर 
सफल जिंदगी - परोपकार हेतु दूसरों को बचा ले 

अंधेरे एक काली रजनी है जिसे सूर्य दूर करता है
नश्वर तन उद्देश्यपूर्ति हेतु आत्मासूर्य को जला ले

मन भ्रमित नही रहकर वश में रहे सदैव ही हमारे
विजयी भव वैचारिक युद्ध बस.. मन को मना ले,

स्व के अर्थ लिए स्वार्थ में पागल-सी है यें दुनिया
कही स्वयं को मोह-माया के जंजाल में फंसा ले!

दर्दे-गमों में भी खुलकर मुस्कुराना जिंदगी है बंदे
अपने चेहरे की मुस्कान पर लबों पर भी हँसा ले,

रोना कायरता नही.., श्रृंगार भी है इन आँखों का
मानवता से हे मानव तुम्हारा यह जीवन सजा ले, 

अनिल भूखे क्यों रहे ज्ञान बिना हरक्षण लेते रहो
जब परिपक्व हो जाये दूसरों को दो यह निवाले।

©Anil Ray
  #andhere #ujale