जिगर का टुकड़ा देखे बरस बीत गया अपने जिगर के टुकड़े को। हां ! एक माँ और भी, गया हैं जिसकी रक्षा को।। ओ! मेरे जिगर के टुकड़े भले तू मुझसे दूर ही जीना। पर याद रहे देश की खातिर , तुझको हैं हर दर्द को पीना।। देख तेरे बलिदान को मैं फूली नहीं स्माऊंगी। ऐसे वीर शहीद की, मैं माता कहलाऊंगी।। #Relationships #दिसम्बर #जिगर #का #टुकड़ा #सोनिका #तंवर #स्वरा #poetess #sonika #tanwar #svra #poemkiduniya