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गजल आज-कल बाजार मे नया प्यार आया है। कुछ लोगो प

गजल 

आज-कल बाजार मे नया प्यार आया है। 
कुछ लोगो पर ये खूब बेशुमार आया है।
जो खबर था छुपा-छुपा हुआ लोगो से, 
वह बात उड़ते-उड़ते मेरे दुआर आया है।
सोचती है कभी खुले नहीं उनका राजे वफा,
हमे चुप रहने के लिये डपट का तार आया है,।
जो-जो है इन लोगो का उल्फत-ए-हमराज, 
सुन बातें मुखौटे पर उनके गम शुमार आया है।
हमने छींटाकशी का एक ही तीर छोडे थे कृष्ण,
हम से मिलने उन कुछ लोगो के यार आया है।

कवि:-कृष्ण मंडल Ravi Chandra US Sanjay jaiswal Nitesh Kumar Anirudh Upadhyay Guriya Kumari
गजल 

आज-कल बाजार मे नया प्यार आया है। 
कुछ लोगो पर ये खूब बेशुमार आया है।
जो खबर था छुपा-छुपा हुआ लोगो से, 
वह बात उड़ते-उड़ते मेरे दुआर आया है।
सोचती है कभी खुले नहीं उनका राजे वफा,
हमे चुप रहने के लिये डपट का तार आया है,।
जो-जो है इन लोगो का उल्फत-ए-हमराज, 
सुन बातें मुखौटे पर उनके गम शुमार आया है।
हमने छींटाकशी का एक ही तीर छोडे थे कृष्ण,
हम से मिलने उन कुछ लोगो के यार आया है।

कवि:-कृष्ण मंडल Ravi Chandra US Sanjay jaiswal Nitesh Kumar Anirudh Upadhyay Guriya Kumari