रास्ते में रुक के दम ले लूँ मिरी आदत नहीं। लौट कर वापस चला जाऊँ मिरी फ़ितरत नहीं। और कोई हम-नवा मिल जाए ये क़िस्मत नहीं। ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ। द्वारा - असरार उल हक़ मजाज फिल्म - ठोकर ( 1953 ) ©Milan Sinha #असरार_उलहक़_मजाज फिल्म - ठोकर ( 1953 ) #तनहाई #walkingalone