a-person-standing-on-a-beach-at-sunset चुप्पी का अंजाम, कुछ यूँ चूका रहे हैं..! दर्द की पराकाष्ठा को, सबसे छुपा रहे हैं..! बोल देना भी बेहतर है, कई बार यारों..! नफ़रत के पौधे मन में, बेवज़ह उगा रहे हैं..! क़ैद कर ग़म को, सदा के लिए कुछ यूँ..! ख़्यालों में ही ख़ुद को, दिन रात सता रहे हैं..! दबी हुई ख़्वाहिशों को, दफ़ना कर दिल में..! जज़्बातों को जानी, मुर्दा बता रहे हैं..! ©SHIVA KANT(Shayar) #SunSet #chuppikaanjam