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हम उन लम्हो को, वही लम्हे !! जिन्हें हमने साथ बित

हम उन लम्हो को, 
वही लम्हे !!
जिन्हें हमने साथ बिताए थे, तुम्हारे सपनों में !!

हम तो लिखते रहे बस एक तरफा प्यार अपना,
अपनी मोहब्बत लिख न सके ,
जो किया होता कोई इशारा अपने आंखों से ही,
इज़हार-ए-दिल हम समझ लेते ,
तेरी मंजूरी इस डगर में समझ
हम भी एक गीत खुशनुमा लिख लेते।।  दिल की हर बात के लिए शब्द कहाँ मिल पाते हैं। 
लिखना तो चाहते हैं हम, मगर नहीं लिख पाते हैं।

कहती हो क्यों लिखते हो फीका फीका तो सुनो आज बताते हम अपनी हक़ीक़त है ।

जिये ही नहीं जो लम्हे हमने उसे कैसे पिरोये यूं शब्दो में,
जो पटक होता यह इश्क़ हमारा नहीं एक तरफा यहां,
तो हम भी अपनी दस्ता लिख देते,
हम उन लम्हो को, 
वही लम्हे !!
जिन्हें हमने साथ बिताए थे, तुम्हारे सपनों में !!

हम तो लिखते रहे बस एक तरफा प्यार अपना,
अपनी मोहब्बत लिख न सके ,
जो किया होता कोई इशारा अपने आंखों से ही,
इज़हार-ए-दिल हम समझ लेते ,
तेरी मंजूरी इस डगर में समझ
हम भी एक गीत खुशनुमा लिख लेते।।  दिल की हर बात के लिए शब्द कहाँ मिल पाते हैं। 
लिखना तो चाहते हैं हम, मगर नहीं लिख पाते हैं।

कहती हो क्यों लिखते हो फीका फीका तो सुनो आज बताते हम अपनी हक़ीक़त है ।

जिये ही नहीं जो लम्हे हमने उसे कैसे पिरोये यूं शब्दो में,
जो पटक होता यह इश्क़ हमारा नहीं एक तरफा यहां,
तो हम भी अपनी दस्ता लिख देते,
sumitpandey1802

Sumit Pandey

New Creator