क्यों न दिल और दिमाग से परे सोचा जाए कुछ खुदके लिए जिया जाए कुछ पलो के लिए रूखकर आज जिंदगी को जिया जाए दूर तो सबको जाना ही है एक दिन क्यों न रुखकर सबका हाल चाल पूछा लिया जाए ज़िंदगी है गीले शिकवे होते ही है क्यों ना आज मन हल्का करके सबको माफ कर दिया जाए ©Abhisri file shikwe