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वाह रे जंगली भेड़ियों, क्या इंसानियत दिखाई है.. एक

वाह रे जंगली भेड़ियों,
क्या इंसानियत दिखाई है..
एक आदमी को मारने के लिए,
हज़ारों हिजड़ों की फौज आयी है..
कोई तो मर्द होता,
 उस बेकसूर को बचाने को..
 कोई तो माँ होती,
 थोड़ी सी दया दिखाने को..
 अपनी लड़की की गलतियों पर,
 पर्दा डाल कर मिटा दिया..
 खुद की आन बान के लिये,
 एक घर का चिराग मिटा दिया..
 क्या थी असल वजह,
 जरा सुन तो लिया होता..
 सच या झूठ क्या है,
 सुनने का मौका तो दिया होता..
 अरे भीड़ में कुत्ते की तरह आने वालों,
पहले खुद बलवान तो बनो..
जात-पात ऊंच-नींच करने वालों,
 पहले तुम एक इंसान तो बनो..
 बहला तो लोगे कानून को,
 उसपर बलात्कार का आरोप लगा कर..
 खुद को कैसे बहलाओगे,
 एक निर्दोष को तड़पा कर.....
.....✒️

©NaVin rai justice for bhuwan joshi

#JusticeAndRevenge
वाह रे जंगली भेड़ियों,
क्या इंसानियत दिखाई है..
एक आदमी को मारने के लिए,
हज़ारों हिजड़ों की फौज आयी है..
कोई तो मर्द होता,
 उस बेकसूर को बचाने को..
 कोई तो माँ होती,
 थोड़ी सी दया दिखाने को..
 अपनी लड़की की गलतियों पर,
 पर्दा डाल कर मिटा दिया..
 खुद की आन बान के लिये,
 एक घर का चिराग मिटा दिया..
 क्या थी असल वजह,
 जरा सुन तो लिया होता..
 सच या झूठ क्या है,
 सुनने का मौका तो दिया होता..
 अरे भीड़ में कुत्ते की तरह आने वालों,
पहले खुद बलवान तो बनो..
जात-पात ऊंच-नींच करने वालों,
 पहले तुम एक इंसान तो बनो..
 बहला तो लोगे कानून को,
 उसपर बलात्कार का आरोप लगा कर..
 खुद को कैसे बहलाओगे,
 एक निर्दोष को तड़पा कर.....
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©NaVin rai justice for bhuwan joshi

#JusticeAndRevenge
navinrai4141

NaVin rai

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