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*प्यारा बचपन* न जाने कब बीत गया वो बचपन जब हम सबक

*प्यारा बचपन*

न जाने कब बीत गया वो बचपन
जब हम सबके प्यारे थे
धमाचौकड़ी करते हरदम
न थकते ....न हारे थे
जब मन आया जो मन आया
वही काम हम करते थे
लड़ते,भिड़ते इक दूजे से
फिर भी दोस्त ही रहते थे।
बिन आहट के चोरी चोरी
भरी दोपहरी निकलते थे
हर खेल के थे माहिर खिलाड़ी
खुद को चैंपियन समझते थे।
हर ज़िद्द को मनवाते थे
अपनी मर्ज़ी के मालिक थे
डाँट भी खाते थे अक्सर
पर हर्गिज़ मुँह न फुलाते थे।
क्यों आख़िर हम बड़े हो गये
ये सोच सोच पछतातें हैं
जिन्दगी की आपा धापी से थककर
जो बचपन जी चुके, फिर से जीना चाहतें हैं

©Shobha Gahlot #बचपन 

#बचपन

#Dark
*प्यारा बचपन*

न जाने कब बीत गया वो बचपन
जब हम सबके प्यारे थे
धमाचौकड़ी करते हरदम
न थकते ....न हारे थे
जब मन आया जो मन आया
वही काम हम करते थे
लड़ते,भिड़ते इक दूजे से
फिर भी दोस्त ही रहते थे।
बिन आहट के चोरी चोरी
भरी दोपहरी निकलते थे
हर खेल के थे माहिर खिलाड़ी
खुद को चैंपियन समझते थे।
हर ज़िद्द को मनवाते थे
अपनी मर्ज़ी के मालिक थे
डाँट भी खाते थे अक्सर
पर हर्गिज़ मुँह न फुलाते थे।
क्यों आख़िर हम बड़े हो गये
ये सोच सोच पछतातें हैं
जिन्दगी की आपा धापी से थककर
जो बचपन जी चुके, फिर से जीना चाहतें हैं

©Shobha Gahlot #बचपन 

#बचपन

#Dark