मन बच क्रम मम उर माहीं। तजि रघुबीर आन गति नाहीं॥ तौ कृसानु सब कै गति जाना। मो कहुँ होउ श्रीखंड समाना॥4॥ ©Kajal Jha ramayan #Ramayan_Stories #chaupai