वादा यादों में मैं उनकी खोया रहता हुँ आज भी हुजूर पर फिर भी किसी से मन में मचलता सवाल नहीं पुछा किया था ख़ुदसे वादा की बनना है मुझे भी मगरूर इसलिए अभी तक किसी से भी उनका हाल नहीं पुछा सारांश...जिंदगी का