बचपन और नानी का घर बहुत छोटा था जब नानी को देखा था , एक भी दाँत नही था मुँह में , चाय में टोस्ट डाल कर खाती थी , भले ही दाँत नही थे , लेकिन खुलकर मुस्कुराती थी , सर पर हाथ फेरती थी , मेरी बेटी के बच्चे है ये कहकर , सबसे मिलवाती थी , यही तो एक जगह है जहाँ , मुझे मेरी माँ के नाम से जाना जाता है, अरे ! उसके बच्चे इतने बड़े हो गये , ये कहकर पहचाना जाता है ।। #Bachpan #Nanikaghar