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तुमसे दूर रहने का दुःख हमको है मेरी ज़ाना, मगर क्य

तुमसे दूर रहने का दुःख हमको है मेरी ज़ाना,
मगर क्यों दूर तुमसे हैं, कभी सोचा कभी जाना।

मैं हूं, तुम हो और बारिश हो फिर दोनो भीगते छत पर
बिजलियां जोर से कड़कें और तुम हमसे लिपट जाना।

मैं तुझसे मिलने आया और ये तोहफ़ा साथ लाया हूं,
मेरी मां ने कहा था कि उसे कंगन लिए जाना।

तुम्हारे साथ रहना चाहते है ताउम्र दिलबर,
पहन शादी का जोड़ा तुम हमारे घर चले आना।

अखिल तो चाहता मिलना, मगर  वक़्त नही मिलता
मेरी नींदों की ख्वाइश है , मेरे ख्वाबों में आ जाना।।

©Akhil Arya #Raftaar #akhil_arya #Poetry #gazal
तुमसे दूर रहने का दुःख हमको है मेरी ज़ाना,
मगर क्यों दूर तुमसे हैं, कभी सोचा कभी जाना।

मैं हूं, तुम हो और बारिश हो फिर दोनो भीगते छत पर
बिजलियां जोर से कड़कें और तुम हमसे लिपट जाना।

मैं तुझसे मिलने आया और ये तोहफ़ा साथ लाया हूं,
मेरी मां ने कहा था कि उसे कंगन लिए जाना।

तुम्हारे साथ रहना चाहते है ताउम्र दिलबर,
पहन शादी का जोड़ा तुम हमारे घर चले आना।

अखिल तो चाहता मिलना, मगर  वक़्त नही मिलता
मेरी नींदों की ख्वाइश है , मेरे ख्वाबों में आ जाना।।

©Akhil Arya #Raftaar #akhil_arya #Poetry #gazal