सब कहते हैं नया लिखूँगा, मैं कहता हूँ जुदा लिखूँगा। जब वो मेरा हो जाएगा उसको अपना ख़ुदा लिखूँगा। गल तो गया उल्फ़त का काग़ज़, फिर भी उस पर वफ़ा लिखूँगा। अगर मुक़द्दर लिखना पड़ा तो, बस मैं उसकी रज़ा लिखूँगा। "राशिद" भी अब जान चुका है, ख़त पे किसका पता लिखूँगा। लिखना तू भी मेरी ख़ताएँ, मैं भी अपनी ख़ता लिखूँगा। कितना भी हो बुरा वक़्त अपने नाम के साथ तेरा नाम लिखूँगा रूठे रूठे रहते हो हर वक़्त फिर तेरे लिए तेरी पालकों पर खुशियां लिखूँगा जो चमकता रहे इश्क सितारा बन कर मैं इस मोहब्बत की ऐसी ©Rashid MoMeen #Lumi Sudha Tripathi Traveling poet 🎠 .سُمر.