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कलाम, गांधी नही तो सरल मानुज ही बना दे , जीवन के

कलाम, गांधी नही तो  सरल मानुज ही बना दे , जीवन के संग्राम की राह दिखा दे..भटक रहा ये मानव यूं पथ पथ , इसके भीतर ही देव दर्शन करा दे...।

संकुचन में सिमटी ये मृद काया , आत्मकेन्द्र में उलझा ये नर वेचारा  , इसे नर से नारायण की यात्रा का पथ सिखला दे.. इसमें मानुज देवता का उदय करा दे ।

व्यष्टि से समव्यष्टि का बोध करा दे, स्थूल से सूक्ष्म की महत्ता सिखला दे,
सुप्त पड़ी ये मानव काया,  इसमे बिजली का प्रवाह करा दे...इसे लौकिकता के दर्शन करा दे,
  
मानुज को  देवता बना दे, मानुज को देवता बना दे..।। #poetry
#humanism
कलाम, गांधी नही तो  सरल मानुज ही बना दे , जीवन के संग्राम की राह दिखा दे..भटक रहा ये मानव यूं पथ पथ , इसके भीतर ही देव दर्शन करा दे...।

संकुचन में सिमटी ये मृद काया , आत्मकेन्द्र में उलझा ये नर वेचारा  , इसे नर से नारायण की यात्रा का पथ सिखला दे.. इसमें मानुज देवता का उदय करा दे ।

व्यष्टि से समव्यष्टि का बोध करा दे, स्थूल से सूक्ष्म की महत्ता सिखला दे,
सुप्त पड़ी ये मानव काया,  इसमे बिजली का प्रवाह करा दे...इसे लौकिकता के दर्शन करा दे,
  
मानुज को  देवता बना दे, मानुज को देवता बना दे..।। #poetry
#humanism