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ज़िन्दगी का सफर कैसे कटेगा ग़मगीन हो के। होंठों पर फ

ज़िन्दगी का सफर कैसे कटेगा ग़मगीन हो के।
होंठों पर फिरसे मुश्कुराहट को सजाएँ अब।
ख्वाबोँ में रह कर जीना नहीं है आसान।
ज़िन्दगी की हक़ीक़त चलो सबको बताएँ अब।।

दूरियों से नहीं होता हाशिल कुछ भी।
नज़दीकियों को भी चलो दिल से भुलाएँ अब।
जोड़ लेँ टुकड़े दिल के, पौंछ लेँ आंसू अपने।
दिल पे लगे ज़ख्मों को चलो मिटाएँ अब।

उनके राश्ते अलग हैं, मेरी मंज़िलें अलग।
उन्हें उनके राश्तों पर चलो फिरसे छोड़ आएँ अब।
क्या, जो ना मिले एक मंज़िल, हैं मंज़िलें और भी।
एक नये सफर पर चलो क़दम बढाएँ अब।।। #ज़िन्दगी_का_सफ़र
ज़िन्दगी का सफर कैसे कटेगा ग़मगीन हो के।
होंठों पर फिरसे मुश्कुराहट को सजाएँ अब।
ख्वाबोँ में रह कर जीना नहीं है आसान।
ज़िन्दगी की हक़ीक़त चलो सबको बताएँ अब।।

दूरियों से नहीं होता हाशिल कुछ भी।
नज़दीकियों को भी चलो दिल से भुलाएँ अब।
जोड़ लेँ टुकड़े दिल के, पौंछ लेँ आंसू अपने।
दिल पे लगे ज़ख्मों को चलो मिटाएँ अब।

उनके राश्ते अलग हैं, मेरी मंज़िलें अलग।
उन्हें उनके राश्तों पर चलो फिरसे छोड़ आएँ अब।
क्या, जो ना मिले एक मंज़िल, हैं मंज़िलें और भी।
एक नये सफर पर चलो क़दम बढाएँ अब।।। #ज़िन्दगी_का_सफ़र