गुल सा महकता भाई गुलजार रहे तू। मुझ पे लुटाता एसे ही प्यार रहे तू।। स्नेह के धागे से मैंने राखी है बुनी। सारे जहां से मैंने ये खुशीयां है चुनी।। बहन की दुआ भाई लगती है सदा। कहते हुए तितलियों से मैंने है सुनी।। मिलने को मुझसे सदा बेकरार रहे तू। मुझ पे लुटाता एसे ही प्यार रहे तू।। गुल सा महकता भाई गुलजार रहे तू। मुझ पे लुटाता एसे ही प्यार रहे तू।। झगड़ना झगड़के रूठना आता है याद वो। मनाना मनाके बहलाना आता है याद वो।। बहना पुकारे जब भी भाई तैयार रहे तू। मुझ पे लुटाता एसे ही प्यार रहे तू।। गुल सा महकता भाई गुलजार रहे तू। मुझ पे लुटाता एसे ही प्यार रहे तू।। ✍️कलम से कवित्री ✍️ अर्पणा दुबे "अर्पण" ©arpana dubey #Rakhi #wqat #raah #uit #Saffron