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जो हमारा खाकर भी, हमें ही बदनाम करें, खुद को हर का

जो हमारा खाकर भी, हमें ही बदनाम करें,
खुद को हर काम में आगे धरे,
वो जो कुत्तों से भी गिरा हुआ नजर आता हैं,
जो ससुराल में, ससुराल का खाकर अपने पीहर का बताता हैं,
अगर वो पीहर का ही खाता तो,
 भला यहां से भर - भर कर क्यूं, भूखे मां - बाप के लिए ले जाता ,
जो किसी की आत्मा को दिखाओगे,
तो कभी भी सुख चेन से ना रह पाओगे,

वो उस मिट्टी का दाना हैं,
 जो बड़ी मुश्किलों से पचने वाला हैं,
आज डकार मार कर, अपने मन की कर लो
अपने घर को अन्न,धन में भर लो,।

कल को कहां पर खाओगे, जब बिक जाएगी जमीं,
ये बताओ हराम खोरों फिर कोन से रिश्तेदार को नोंच नोंच के खाओगे।

तुम अपनी करनी पड़ एक दिन बहुत पछताओगे,
एक दिन तुम्हारे घर में ही वो सब विघ्न पाओगे,
जो तुमने यहां रचाया हैं,
वहीं तुमने भी बहुत पाया हैं,
जो हमें बर्बाद करेगी,
वो भला खुद कैसे आबादी में जीवन व्यतीत करेगी,

हमारा खाकर हमसे गद्दारी करेगी,
तो उसका हर्जाना भी इक वो ही भरेगी,
वो भी तो एक दिन तिल तिल कर कुत्ते की मौत मरेगी,
जो दूसरों को तीन दिन भूखा मारे, वो भला कैसे पेट भरेगी,

वो कभी ना कभी खुद भी अन्न के लिए लोगों की गुलामी करेगी,
पर फिर भी भूखा ही मरेगी।

©jyoti gurjar
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#हैवानियत