अज़ीब कशमकश में उल्झी हुई हूँ आगे बढ़ने का रास्ता ही भूल गयी हूँ नज़रे तलाश रही हैं राह, मंज़िल की मग़र राहे- मंज़िल दूर खड़े इंतज़ार कर रही हैं हमारे आने की ©Pavitra Sutparai Magar #rahen #WalkingInWoods