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बढ़ती उम्र, अक्ल की दुरुस्ती अक्सर एक सवाल पूछती

बढ़ती उम्र, अक्ल की दुरुस्ती 
अक्सर एक सवाल पूछती हैं 
मगर हमेशा उत्तरहीन ही अपने 
कदमों को वापस ले जाती है। 
क्या मैं भी कभी आपकी तरह 
अपनों की मुस्कान संभाल पाऊंगा?
क्या मैं कभी आप जैसा बन पाऊंगा?

जब संपूर्ण परिवार मुझपर निर्भर होगा 
जब मुस्कान से मेरा मिलना कभी कभी होगा 
जीवन तो सामान्य और मामूली लगेगा 
मगर खुद में एक संग्राम होगा 
"कैसा है, बताओ कुछ और चाहिए क्या" 
क्या मैं भी कभी ये पूछ पाऊंगा?
क्या मैं कभी आप जैसा बन पाऊंगा?
(पूरी रचना अनुशीर्षक में) बढ़ती उम्र, अक्ल की दुरुस्ती 
अक्सर एक सवाल पूछती हैं 
मगर हमेशा उत्तरहीन ही अपने 
कदमों को वापस ले जाती है। 
क्या मैं भी कभी आपकी तरह 
अपनों की मुस्कान संभाल पाऊंगा?
क्या मैं कभी आप जैसा बन पाऊंगा?
बढ़ती उम्र, अक्ल की दुरुस्ती 
अक्सर एक सवाल पूछती हैं 
मगर हमेशा उत्तरहीन ही अपने 
कदमों को वापस ले जाती है। 
क्या मैं भी कभी आपकी तरह 
अपनों की मुस्कान संभाल पाऊंगा?
क्या मैं कभी आप जैसा बन पाऊंगा?

जब संपूर्ण परिवार मुझपर निर्भर होगा 
जब मुस्कान से मेरा मिलना कभी कभी होगा 
जीवन तो सामान्य और मामूली लगेगा 
मगर खुद में एक संग्राम होगा 
"कैसा है, बताओ कुछ और चाहिए क्या" 
क्या मैं भी कभी ये पूछ पाऊंगा?
क्या मैं कभी आप जैसा बन पाऊंगा?
(पूरी रचना अनुशीर्षक में) बढ़ती उम्र, अक्ल की दुरुस्ती 
अक्सर एक सवाल पूछती हैं 
मगर हमेशा उत्तरहीन ही अपने 
कदमों को वापस ले जाती है। 
क्या मैं भी कभी आपकी तरह 
अपनों की मुस्कान संभाल पाऊंगा?
क्या मैं कभी आप जैसा बन पाऊंगा?

बढ़ती उम्र, अक्ल की दुरुस्ती अक्सर एक सवाल पूछती हैं मगर हमेशा उत्तरहीन ही अपने कदमों को वापस ले जाती है। क्या मैं भी कभी आपकी तरह अपनों की मुस्कान संभाल पाऊंगा? क्या मैं कभी आप जैसा बन पाऊंगा? #father #yourquote #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #yourquotediary #yqaestheticthoughts