दिल पर एक तुर्फा कयामत करना, मुसकुराते हुए रुख़सत करना...!! अच्छी आंखे जो मिलीं हैं उसको, कुछ तो लाजिम हुआ वहसत करना...!! जुर्म किस का था सजा किसको मिली, क्या गई बात पर हुज्जत करना...!! कौन चाहेगा तुम्हे मेरी तरह, अब किसी से ना मोहब्बत करना...!! घर का दरवाज़ा खुला रक्खा है, वक़्त मिल जाये तो जहमत करना..!! आजा रे माहि तेरा रस्ता ओ देख लिया...... ::::संजय सिंह:::: मेरे प्रिय भैया संजय सिंह के द्वारा लिखी एक शायरी