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बढ़ती जिंदगी निर्झर सरिता-सी बह रही है देखता हूँ

बढ़ती जिंदगी निर्झर
सरिता-सी बह रही है 
देखता हूँ जिंदगी को मैं 
प्रतिदिन आँखों से संध्या-सी 
यह भी ढ़लती जाये शनै-शनै..

मैं देख रहा हूँ चलते हुए 
हाथों से लगाए अपने पेड़ से 
गिरती हुई पीली-पीली पत्तियों को 
शायद! उन सब में से एक हूँ मैं भी.. 

अचानक लौट आती है प्रज्ञा, और मैं 
मुस्कुराने लगता हूँ धीरे-धीरे अगले ही पल 
पीली पत्तियों को समेटकर डाल देता हूँ मैं 
सड़-गलकर उत्तम उर्वरक बनाने के लिए.. 

मैंने मेरे वर्तमान को सहेज लिया है 
आगामी भविष्य के लिए स्वजीवन हेतु 
फिर मुस्कुराऊंगा मैं खूबसूरत फूल बनकर 
फल बनकर सहेज लूँगा मैं नये-नये बीज को
हाँ! मैं रहुंगा अनंत तक अमर अनिल बनकर..

©Anil Ray 🌟🌟✨अब बदलने लगा हूँ✨🌟🌟

जलती थी शिकायत अनिल अनल-सी
अब अपने ही ख्यालों में खोने लगा हूँ।

देखें नही कोई आँखें मेरी अश्रुधारा को
यही सोचकर मैं एकांत में रोने लगा हूँ।
anilray3605

Anil Ray

Bronze Star
Growing Creator

🌟🌟✨अब बदलने लगा हूँ✨🌟🌟 जलती थी शिकायत अनिल अनल-सी अब अपने ही ख्यालों में खोने लगा हूँ। देखें नही कोई आँखें मेरी अश्रुधारा को यही सोचकर मैं एकांत में रोने लगा हूँ। #BadhtiZindagi

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