कुछ ऐसी भी मेरी खुशियाँ थी जिसमें मेरे दोस्त, फैमिली और अपनी ही बस एक दुनिया थी जहाँ ना कोई मतलब था और न ही कोई मतलबी सब साथ साथ रहते थे, बस थोड़ी छोटी सी थी अपनी नगरी कुछ ऐसी भी मेरी खुशियाँ थी कुछ चीजों से मै इतना जुड़ा था मेरा बचपन भी बड़ा नया नया था लेकिन कुछ सपने बहुत बड़े बड़े थे बस बड़ती उम्र के साथ सब छोटे हुए थे कई चीजें मिलती चली गयी तो कुछ पीछे छुटती चली गयी वो भी इक दुनिया थी कुछ ऐसी ही मेरी खुशियाँ थी ✍new chapter(Deepak) #meri_duniya