कान्हा के रंग में रंग जाऊंगा जब कृष्ण जन्माष्टमी मनाऊंगा कहीं भूल तो नहीं जाऊंगा मैं जब रात को 12 बजे धंटा बजाऊंगा वो गीता की बातें क्या मैं समझ पाऊंगा या सिर्फ एक किताब समझ कर गीता को मैं अपनी आलमारी में सजाऊंगा सोचता हूँ रात 12 बजे मैं इस बार धंटा नहीं गीता पढ़कर सबको सुनाऊंगा कोई सुने ना सुने क्या फर्क पड़ता है कम से कम बाहर के शोरशराबे से बचकर शायद इस कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर गीता में छुपे ज्ञान के रहस्य को समझ पाऊंगा ©Rajeev Bhardwaj लेखक #कृष्ण_जन्माष्टमी #समाज_और_संस्कृति #राजीव_भारद्वाज #DearKanha