हाँ, सच कह रही हो दीदी, पहले से कम समय लगता है, अगर तुलानात्मक देखा जाय तो, बस टॉपिक का इंतजार रहता है, बस, टॉपिक मिलता है, और चुटकियों में डन हो जाता। वैसे पहले भी ज्यादा समय कहाँ लगता थी दी, क्योंकि अपने मुमताज की यादों में जो लिखता था। एक समय था, जब आप शब्द को लिखते थे मगर क्या आपको महसूस नहीं होता, अब शब्द आपको लिख रहे हैं! रोज़ एक नई शक्ल, एक नया रूप, एक नया रंग दे रहे हैं आपको ये शब्द। #शब्दमुझेलिखतेहैं #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi