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कहीं धूप है तो कहीं जरा सी छांव कहीं बेशुमार प्रे

कहीं धूप है
तो कहीं जरा सी छांव

कहीं बेशुमार प्रेम है
तो कहीं प्रेम में मिले घाव

कहीं शहर सी नजर आती है
तो कहीं खुद में ही निर्मल गाँव

मतलबी लोग हैं 
सब अपने मन मुताबिक़ लिखते हैं
कभी सुलझी हुई नारी 
तो कभी दे देते हैं बेवफ़ा का नाम

©Manish Sarita(माँ )Kumar
  समझना