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तेरी ज़ुल्फ़ों में कभी था, ठिकाना दिल का अब क्या ह

तेरी ज़ुल्फ़ों में कभी था, ठिकाना दिल का
अब क्या ही सुनाए तुम्हें, फ़साना दिल का 
तेरी एक साँस की आवाज़ को तरस जाते हैं 
कभी था दिल से हर बात पे, लगाना दिल का

©adure alfaz
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