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हर रंग तेरे ही गालों को तरसे जैसे नशा

हर  रंग   तेरे   ही  गालों   को   तरसे
जैसे   नशा    होशवालों   को   तरसे

जब   भूल    जाए    परिंदा    उड़ानें
तो  आसमां  छोड़  जालों  को  तरसे

ये  सोच  के  आज़  सजदा  किया है
आँखें  न  उसकी  रूमालों  को तरसे

सब  दोस्तों   से  बिछड़ना   हुआ  तो
मोहन भी गोकुल के ग्वालों को तरसे

होली पे  तुमको  टिकट ना  मिली तो
घर  मां  का चेहरा  गुलालों  को  तरसे

©Vivek Vistar हर  रंग   तेरे   ही  गालों   को   तरसे
जैसे   नशा    होशवालों   को   तरसे

जब   भूल    जाए    परिंदा    उड़ानें
तो  आसमां  छोड़  जालों  को  तरसे

ये  सोच  के  आज़  सजदा  किया है
आँखें  न  उसकी  रूमालों  को तरसे
हर  रंग   तेरे   ही  गालों   को   तरसे
जैसे   नशा    होशवालों   को   तरसे

जब   भूल    जाए    परिंदा    उड़ानें
तो  आसमां  छोड़  जालों  को  तरसे

ये  सोच  के  आज़  सजदा  किया है
आँखें  न  उसकी  रूमालों  को तरसे

सब  दोस्तों   से  बिछड़ना   हुआ  तो
मोहन भी गोकुल के ग्वालों को तरसे

होली पे  तुमको  टिकट ना  मिली तो
घर  मां  का चेहरा  गुलालों  को  तरसे

©Vivek Vistar हर  रंग   तेरे   ही  गालों   को   तरसे
जैसे   नशा    होशवालों   को   तरसे

जब   भूल    जाए    परिंदा    उड़ानें
तो  आसमां  छोड़  जालों  को  तरसे

ये  सोच  के  आज़  सजदा  किया है
आँखें  न  उसकी  रूमालों  को तरसे
vivekjatav4951

Vivek Vistar

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