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कभी हकीक़त लगती हो कभी ख्वाब लगती हो, कभी आधी पढ़ी


कभी हकीक़त लगती हो कभी ख्वाब लगती हो,
कभी आधी पढ़ी कोई पुरानी किताब लगती हो,
कहीं तुम्हें किसी की नज़र लग न जाए,
सादगी में भी कितनी लाजवाब लगती हो।

कभी वक्त मिले तो आईने में ख़ुद को निहारना,
आज भी तुम ख़ूबसूरत बेहिसाब लगती हो,
मुस्कुराती हो जब तो वक्त थम जाता है,
गुस्से में भी सुर्ख गुलाब लगती हो।

परख से परे है शख्सियत तुम्हारी,
फुर्सत से लिखा हुआ जवाब लगती हो,
मानो कुदरत ने तुम्हें मेरे ही लिए हो तराशा,
उस हीरे सी बहुत नायाब लगती हो।

(Abhishek Trehan)

  #secondquote #hindipoetry #hindishayari #lovequotes #lovequotesforever #yqdidi

कभी हकीक़त लगती हो कभी ख्वाब लगती हो,
कभी आधी पढ़ी कोई पुरानी किताब लगती हो,
कहीं तुम्हें किसी की नज़र लग न जाए,
सादगी में भी कितनी लाजवाब लगती हो।

कभी वक्त मिले तो आईने में ख़ुद को निहारना,
आज भी तुम ख़ूबसूरत बेहिसाब लगती हो,
मुस्कुराती हो जब तो वक्त थम जाता है,
गुस्से में भी सुर्ख गुलाब लगती हो।

परख से परे है शख्सियत तुम्हारी,
फुर्सत से लिखा हुआ जवाब लगती हो,
मानो कुदरत ने तुम्हें मेरे ही लिए हो तराशा,
उस हीरे सी बहुत नायाब लगती हो।

(Abhishek Trehan)

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